पारद शिवलिंग कैसा होता है Options

कुबेर कुंजी को पहले गंगा जल अथवा कच्चे दूध का छिड़काव कर शुद्ध करें।

परभणी आंध्रप्रदेश, तेलंगणा, कर्नाटक, गुजरात आणि मध्यप्रदेश सारख्या इतर राज्याशी संबंधित आहेत. महाराष्ट्रातील इतर महानगरांत परभणी जिल्ह्यात एसटी महामंडळाच्या परभणी विभागात अनेक रोजची बस आहेत.

प्रातः काल उठकर स्नान ध्यान के बाद किसी बड़े पात्र में नर्मदेश्वर शिवलिंग को रखें और इसके ऊपर बेलपत्र और जल अर्पित कर पूजा अर्चना करें।

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

- मंदिर में कितना भी बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जा सकता है.

ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।

घर के सभी वास्तु दोषों की समाप्ति के लिए और वातावरण को पवित्र करने के पारद शिवलिंग / pare ka shivling को घर में रखा जाता है। यदि आप अपने घर में मौजूद दरिद्रता और बुरी शक्तियों का नाश करना चाहते हैं इसे घर में स्थापित कर सकते हैं।

आत्ता सध्या  श्रावण मास सुरु आहे. आणि ह्या महिन्यात घरात पारद शिवलिंग स्थापना कोणत्याही सोमवारी करण्यास हरकत नाही.

मंदिर में शिवलिंग रखने के लिए उसके आकार को ध्यान में रखना जरूरी नहीं है जबकि घर पर शिवलिंग को रखने के लिए यह ध्यान रखना बेहद ही आवश्यक यही कि वह शिवलिंग अंगूठे के आकर से बड़ा न हो। इसके पीछे की ख़ास वजह यह है कि शिवलिंग एक अग्नि स्तम्भ माना जाता है और इस कारण यदि बड़े आकार का शिवलिंग घर में रखा जाए तो उसमें समाहित वह ज्वलंत शक्ति विनाशकारी साबित हो सकती है।

मनोकामना पूर्ति के लिए सावन महीने में पारद शिवलिंग घर में रखना चाहिए,इस शिवलिंग here की पूजा दिन में दो बार करनी चाहिए,वास्तु दोष का निवारण भी हो जाता हे,शिवलिंग की पूजाविधि और स्थापन विधि पहले कोई पंडित,तांत्रिक या अघोरी से करवा ले फिर आप पूजापाठ और मंत्र का जाप शुरू करे,

१०० अश्वमेघ यज्ञ , चार धाम यात्रा , एक लाख गायीचे दान , केल्याने जे फळ मिळते ते एकट्या पारद शिवलिंगाच्या पूजनाने मिळेल.

पारद और स्फटिक शिवलिंग की स्थापना किसी विद्वान पंडित के मार्गदर्शन में विधि-विधान के अनुसार ही करनी चाहिए। इन शिवलिंगों को स्थापित करने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन भी आवश्यक माना जाता है। साथ ही, इनकी नियमित रूप से पूजा करना महत्वपूर्ण है।

अभिषेक मध्ये तुप , पाणी , गंगाजल , मध, (पाच वस्तूने बनविलेले पंचामृत) , वापर करू शकता.

आमतौर पर हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है, जिनके हाथ, पैर, चेहरा आदि होता है, लेकिन एकमात्र शिव ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों रूपों में पूजे जाते हैं.

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